शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

रहस्यमयी भुतहा किला भानगढ़

राजस्थान के जयपुर के अल्वर जिले में स्थीत खौफनाक और रहस्यमयी किला जिसे भानगढ़ का किला कहा जाता है। इस किले की रोमांचकारि कहानी मन को इस कदर भयभीत कर देती है कि कोइ भी व्यक्ति रात के वक्त इस किले के आस-पास फटकने की हिमाकत नही कर सकता। आखिर क्या है इस भुतहा किले का रहस्य जो लोगों के लिए भय और आतंक का कारण बनाा हुआ है।
भानगढ़ राजपूति आन-बान और शान माने जाने वाले राजस्थान के उत्तर-पूर्वी सघन वन क्षेत्र सरिका रास्ट्रीय उद्यान के दक्षिण छोर पर अरावली के पहाड़ीयों के बीच एक रहस्यमय खण्डहर शहर के रूप मे मौजूद है। कहने को तो यहाँ बाजार, महल, बाग-बगिचे कूएं-बावडि़यां महल हवेली सब कुछ है। लेकिन सब के सब खण्डहर। मानो रातो रात यह शहर उजड़ गया हो। इस किले से संबंधित अनेकों किस्से कहानीया प्रचलीत हैं। स्थानिय लोगो में धारणा है कि यह किला शापित है। जिसके कारण लोग भयभीत रहते है।
ृ भानगढ़ के किले का निर्माण अतित के आगोस में सत्रहवीं सताब्दी में राजा माधव सिंह के द्वारा कराया गया था। राजा माधव सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे उस समय भानगढ़ की जनसंख्या तकरीबन 10.000 थी। चारों तरफ से पहाड़ों से घीरे विशाल किले में बेहतरीन शिल्प कलाओं का प्रयोग किया गया है, साथ ही साथ इस किले मे भगवान शिव तथा हनुमान जी का अति प्राचिन मंदिर भी है। इस किले में कुल पाँच द्वार तथा एक मुख्य दिवार है।
किवदंतियों के अनुसार भानगढ़ के किले पर काले जादूगर सिंधीया का श्राप है देखने मे यह किना जितना शानदार है इसका अतित भी उतना ही भयानक है। इस किले से संबंधित एक कहानी के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती अत्यंत सुदर और रूपवान थी उसके सुन्दरता की चर्चा पूरे राज्य मे थी। देश के अनेकों राजकुमार उससे विवाह करना चाहते थे। उस समय वह 18 वर्ष की थी और उसका यौवन उसके खुब सुरती पर चार चाँद लगा रहे थे।
एक बार की बात है राजकुमारी रत्नावती अपने सखीयों के साथ एक इत्र के दुकान पर जाकर हाथों मे इत्र लेकर उसकी खुशबू ले रही थी तभी सिंधीया नाम का एक व्यक्ति उसे कुछ दुर से बड़े गौर से निहार रहा था। सिंधीया उसी राज्य में रहता था और काले जादू में उसे महारथ हासिल थी। राजकुमारी को देखकर वह उस पर मोहित हो गया और किसी भी प्रकार से राजकुमारी को हासिल करने की कोशिस करने लगा। एक दिन उसने राजकुमारी के पसंदीदा इत्र में काला जादू कर राजकुमारी को अपने वश में करना चाहता था। परंतु इस बात की भनक राज कुमारी को लग गई तब उसने इत्र के उस बोतल को एक पत्थर पर पटक दिया जिससे बोतल टुट गई और सारा इत्र पत्थर पर बिखर गया देखते ही देखते काले जादू के प्रभाव से वह पत्थर फिसलने लगा और फिसलते हुए जादूगर सिंधीया के पास जा पहुंचा।
राज कुमारी भी पत्थर के पिछे-पिछे सिंधीया तक पहुंच गई और उसे मौत के घाट उतार दिया, परंतु मरते-मरते जादूगर सिंधीया श्राप दे गया कि इस किले में रहने वाले सभी लोगों का विनाश हो जायेगा और मरने के बाद भी उनकी आत्माएं इस किले में भटकती रहेंगी। उन्हे कभी मुक्ति नही मिलेगी।
जादूगर सिंधीया के मौत के कुछ दिनो के बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच भयानक युद्ध हुआ जिससे किले में रहने वाले सभी लोग मारे गये, यहाँ तक कि राजकुमारी रत्नावती भी उस श्राप से नही बच पाई और उसकी भी मौत हो गई। एक साथ इतने बड़े कत्ले आम के बाद किले में मौत का सन्नाटा छा गया और आज भी उनकी अतृप्त आत्माएं घुमती रहती हैं।
इस किले से लोग इतना आतंकित हैं कि प्रसासन के द्वारा भी सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। इस किले में सुर्यास्त के बाद प्रवेश पर प्रतिबंध है। फिलहाल इस किले की देख-रेख भारत सरकार के द्वारा की जाती है तथा किले के चारों तरफ आर्कियो लाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम हमेशा मौजूद रहती है। ए.एस.आई.टीम ने बकायदा एक साइन बोर्ड पर सख्त हिदायत लिख रखी है कि इस इलाके में शाम होने के बाद रूकने की सख्त मना है।
कहा जाता है कि इस किले मे शाम होने के बाद जो भी गया वह कभी वापस नही आया। इस किले मे अब तक अनेकों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। लोगो का मानना है कि इस किले मे कत्ले आम में मारे जाने वाले लोगों की रूहों का कब्जा है, आज भी उस किले में भटकती आत्माएं दिखाईदे जाती हैं। इस तथ्य की सच्चाई को परखने के लिए कई बार भारत सरकार के अर्ध सैनिक बलो के द्वारा प्रयास किया गया। परंतु वे भी असफल रही। सैनिकों ने भी किले मे रूहों के होने की बात को स्वीकारा है। कहा जाता है कि आज भी उस इलाके में तलवारो के आपस में टकराने की आवाजें तथा चीख पुकार सुनाई देती है। लेखक- प्रदीप गोस्वामी (संपादक- रहस्यों के खोज में, आध्यात्मिक पत्रिका) मो.न.09753640635

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